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आपराधिक जांच में आधार के बायोमेट्रिक डाटा का उपयोग नहीं होगा: यूआईडीएआई

आपराधिक जांच में आधार के बायोमेट्रिक डाटा का उपयोग नहीं होगा: यूआईडीएआई

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 22 जून 2018 को कहा है कि उसके द्वारा एकत्रित किए गए पहचान संबंधी जानकारी को आपराधिक जांच में प्रयोग नहीं लाया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इससे पहले भी आधार की जानकारियां किसी भी आपराधिक जांच एजेंसी से साझा नहीं की गई हैं.

यूआईडीएआई ने अधिसूचित किया है कि आधार अधिनियम, 2016 के तहत आपराधिक जांच हेतु आधार बॉयोमीट्रिक डेटा को उपयोग करने की अनुमती नहीं है.

डाटा से संबंधित मुख्य तथ्य:

•    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के निदेशक ईश कुमार ने पहली बार अपराधियों को पकड़ने और अज्ञात निकायों की पहचान में सहायता करने हेतु आधार डेटा तक सीमित पहुंच प्रदान करके मजबूत कदम उठाया है.

•    आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के अनुसार आधार में दर्ज लोगों के बायोमेट्रिक जानकारियों का आपराधिक जांच के लिए इस्तेमाल करने की स्वीकृत नहीं है. हालांकि अधिनियम की धारा 33 के तहत कुछ मामलों में जानकारी साझा करने की छूट दी गई है.

•    इसके तहत कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली निरीक्षण समिति द्वारा पूर्व-प्राधिकरण के बाद ही राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में आधार बॉयोमीट्रिक डेटा का इस्तेमाल किया जा सकता है.

•    प्राधिकरण ने साफ किया उनके पास दर्ज की गई जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल करने का अधिकार या तो आधार बनाने वाले को है या आधार धारक के वेरिफिकेशन करने वाले को है. इन दोनों मामलों के अलावा किसी भी अन्य कारणों से आधार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

पृष्ठभूमि:

हैदराबाद में फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो के निदेशक मंडल के 19वें अखिल भारतीय सम्मेलन में एनसीआरबी निदेशक ने कहा था कि अपराधियों को पकड़ने और अज्ञात निकायों की पहचान के उद्देश्य से पुलिस को आधार डेटा तक पहुंच को सीमित करने की आवश्यकता है. यूआईडीएआई ने किसी भी अपराध जांच एजेंसी के साथ कभी भी बॉयोमीट्रिक डेटा साझा नहीं किया है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नये रोस्टर सिस्टम की घोषणा

जस्टिस जे चेलमेश्वर के रिटायरमेंट के दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामलों के आवंटन के लिए 24 जून 2018 को नया रोस्टर जारी किया है. यह रोस्टर दो जुलाई से प्रभावी होगा क्योंकि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद न्यायालय का नियमित कामकाज दो जुलाई से शुरू होगा.

सुप्रीम कोर्ट के 10 न्यायाधीश

इस अधिसूचना में उन मामलों की सूची है जिनकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश और 10 अन्य न्यायाधीशों – जस्टिस गोगोई, जस्टिस लोकुर, जस्टिस जोसेफ, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस एस ए जस्टिस बोबडे, जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस ए के गोयल, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस  ए एम सप्रे की पीठों द्वारा की जानी है.

सुप्रीम कोर्ट का नया रोस्टर

•    मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सभी जनहित याचिकाओं, सामाजिक न्याय, चुनाव, बंदी प्रत्यक्षीकरण और अदालत की अवमानना से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

•    न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की सेवानिवृति के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बन चुके न्यायमूर्ति रंजन गोगोई श्रम कानूनों, अप्रत्यक्ष करों, पर्सनल लॉ और कंपनी कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है.

•    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को सेवा, सामाजिक न्याय, पर्सनल लॉ, भूमि अधिग्रहण, खदान एवं खनिज, उपभोक्ता संरक्षण और सशस्त्र एवं अर्धसैनिक बलों से जुड़े मामलों की सुनवाई की जिम्मेदारी दी गई है.

•    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर पारिस्थितिकीय असंतुलन, वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, पेड़ों की कटाई और भूजल स्तर से जुड़े मामलों की भी सुनवाई करेंगे.

•    न्यायमूर्ति जोसेफ की पीठ को श्रम कानूनों, किराया कानून, पारिवारिक कानून, अदालत की अवमानना और पर्सनल लॉ के मामले दिए गए हैं. वह धार्मिक एवं परमार्थ दान के अलावा सभी भूमि कानूनों एवं कृषि काश्तकारियों के मामलों की भी सुनवाई करेंगे.

•    उच्चतम न्यायालय के पांच सदस्यीय कोलेजियम के नए सदस्य न्यायमूर्ति सीकरी की पीठ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों, चुनाव एवं आपराधिक मामलों, पर्सनल लॉ, अदालत की अवमानना, सामान्य दीवानी मामलों और विधि अधिकारियों की नियुक्ति के मामलों की सुनवाई करेगी.

पृष्ठभूमि

जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, तथा जस्टिस एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट पर मामलों के आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे. इसके बाद एक फरवरी को पहली बार सुप्रीम कोर्ट का रोस्टर सार्वजनिक किया गया था. तब से सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर को सार्वजनिक किया जा रहा है ताकि मामलों के आवंटन को लेकर किसी में मतभेद न रहे

एफएसएसएआई ने मिलावट के खिलाफ नियमों में संशोधन हेतु प्रस्ताव पेश किया

खाद्य पदार्थों की नियामक संस्था, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव करने का प्रस्ताव किया है. नये नियमों एवं सिफारिश के अनुसार यदि कोई व्यक्ति खाद्य पदार्थों में मिलावट करता है तो उसे उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है.

एफएसएसएआई की सिफारिशें

•    नए प्रस्ताव के अनुसार मिलावट होने तथा मिलावट से नुकसान होने की आशंका में भी उम्रकैद की सिफारिश की गई है.

•    प्रस्ताव में मिलावट करने करने वालों पर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देने की सिफारिश की गई है.

•    इस समय मिलावट से मौत होने पर ही उम्रकैद का प्रावधान है लेकिन मिलावट होने पर उम्रकैद को अभी जोड़ा जायेगा.

•    इसके अलावा खाने का सामाना आयात करने वाली कंपनियों की जिम्मेदारी भी तय होगी, साथ ही उपभोक्ताओं की परिभाषा में भी बदलाव होगा.

•    इसके अतिरिक्त, पशुओं के खाद्य पदार्थ भी कानून के दायरें में लाने जाने का प्रस्ताव है.

खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) की स्थापना खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत किया गया है. इसका उद्देश्य खाद्य सामग्री के लिये विज्ञान पर आधारित मानकों का निर्माण करना तथा खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, भण्डारण, वितरण, विक्री तथा आयात आदि को नियन्त्रित करना है ताकि मानव-उपभोग के लिये सुरक्षित तथा सम्पूर्ण आहार की उपलब्धि सुनिश्चित की जा सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाणिज्य भवन का शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जून 2018 को दिल्ली के अकबर रोड में वाणिज्य भवन के नए कार्यालय परिसर की आधारशिला रखी.

इस नए कार्यायलय भवन का निर्माण इंडिया गेट के समीप 4.33 एकड़ के एक भूखंड पर किया जा रहा है.

इस इमारत में करीब 1,000 अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने की जगह होगी और यह पर्यावरण अनुकूल इमारत होगी. साथ ही यह डिजिटल प्रणाली और वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग जैसी सुविधाएं होंगी.

वाणिज्य भवन से संबंधित मुख्य तथ्य:

•    निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह इमारत अत्याधुनिक, पर्यावरण अनुकूल होगा.

•    इसके साथ ही इसके पूरे छत का प्रयोग सौर ऊर्जा पैदा करने और शून्य अपशिष्ट निवर्हन और सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने वाला होगा.

•    भवन दिसंबर 2019 तक बनकर तैयार हो जाएगा. यह पूर्णरुप से पेपरलेस कार्यालय होगा.

•    भवन का नक्शाु कुछ इस तरह से तैयार किया गया है, जिससे कि कम से कम पेड़ों को काटने की जरूरत पड़ेगी.

•    इस भूखंड पर स्थित 214 पेड़ों में 56 प्रतिशत को जस का तस छोड़ा जायेगा या फिर उसी भूखंड पर दूसरी जगह लगाया जायेगा. लगभग 70 प्रतिशत बड़े पेड़ों को सुरक्षित रखा गया है.

•    इसी भूखंड पर 230 नये पेड़ लगाये जा रहे हैं. अत: यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नये भवन के निर्माण के बाद इस स्थ ल पर पेड़ों की संख्या  बढ़ जाए.

•    नया भवन न केवल भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत, बल्कि भारत में गवर्नेंस में अभिनव प्रौद्योगिकी अपनाने का भी प्रतीक होगा.

पृष्ठभूमि:

विभाग का कामकाज फिलहाल उद्योग भवन से होता है. यहां अन्य मंत्रालयों के दफ्तर भी है जिसके कारण जगह की कमी हो गई है.

वाणिज्या विभाग से संबद्ध एवं अधीनस्थत कार्यालय जैसे कि व्यांपार उपाय महानिदेशालय (डीजीटीआर) और सरकारी ई-मार्केटप्लेास (जेम) का कामकाज किराए पर परिसरों से संचालित किया जा रहा है.

ग्रामीण युवाओं हेतु बीपीओ पदोन्नति योजना का विस्तार: केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने हाल ही में ग्रामीण युवाओं के लिए और रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्यन से बीपीओ प्रमोशन स्कीेम के विस्ताऔर के लिए कदम उठा रही है.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतीय बीपीओ प्रमोशन स्कीम का विस्तार करने के उद्देश्य से वर्तमान 48,000 सीटों को बढ़ाकर 1 लाख सीटों तक करने की योजना बना रहा है.

विस्तार से संबंधित मुख्य तथ्य:

•    इसके साथ ही यह मध्य प्रदेश, भोपाल में 5 लाख वर्चुअल सर्वर की क्षमता के साथ 5वां और भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय डाटा सेंटर (एनडीसी) की स्थापना भी करेगा.

•    भारत बीपीओ संवर्धन योजना (आईबीपीएस), डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत देश भर में बीपीओ/आईटीईएस के संचालन के लिए 48,300 सीटों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए परिकल्पित है.

•    सरकारी वेबसाइटों, सेवाओं और ऐप्स की मेजबानी करने वाले ये राष्ट्रीय डाटा सेंटर वर्तमान में पुणे, हैदराबाद, दिल्ली और भुवनेश्वर के चार स्थानों पर परिचालित किए जा रहे हैं.

•    इसे 493 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राज्य की जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक राज्य के बीच वितरित किया गया है.

•    इससे छोटे शहरों में बुनियादी सुविधाओं और जनशक्ति के रूप में क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी और आईटी/आईटीईएस आधारित विकास की अगली लहर की बुनियाद तैयार होगी.

बीपीओ पदोन्नति योजना:

भारतीय बीपीओ प्रमोशन स्कीम का मुख्य रूप से उदेश्य बीपीओ / आईटीईएस संचालन की स्थापना करके आईटी / आईटीईएस उद्योग को बढ़ावा देते हुये युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा की गयी यह पहल ग्रामीण युवाओं के लिए नई नौकरियों के अवसर पैदा करने में मदद करेंगी और यह भी सुनिश्चित करेगी कि छोटे शहरों के लोगों को आवास उनके रोजगार के नजदीक ही मिल जाए.

                                                                               उद्देश्य
इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य छोटे शहरों के स्थानीय युवाओं के लिए लगभग 1.5 लाख रोजगार के अवसर पैदा करना और संबंधित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए निवेश को आकर्षित करना है. ये योजनाऐं छोटे शहरों के विकास के लिए उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेंगी और उन क्षेत्रों में समृद्धि लाएंगी.

 

बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ)

बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) किसी तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता को किया गया एक विशिष्ट व्यवसाय कार्य का अनुबंध है. आमतौर पर, बीपीओ को वैसे काम जिनकी कंपनी को ज़रूरत तो होती है लेकिन बाजार पर अपनी पद बनाये रखने के लिए उनपे निर्भर नही करती उनके लिए मूल्य-बचत उपाय के रूप में लागू किया जाता है.

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